सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी अंकिता वरवडे (Ankita Warwade) से खास बातचीत: CHO Saathi पोर्टल पर आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी अंकिता वरवडे जी से एक प्रेरणादायक बातचीत। इस साक्षात्कार में अंकिता जी ने अपने सफर, चुनौतियों, अनुभवों और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा में अपने अभूतपूर्व योगदान को साझा किया है। उनके विचार और अनुभव न सिर्फ वर्तमान CHOs के लिए मार्गदर्शक हैं, बल्कि इस क्षेत्र में आने वाले युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं। पढ़िए यह ख़ास इंटरव्यू और जानिए एक CHO के ज़मीनी अनुभवों की अनकही कहानी।
प्रश्न 1: कृपया अपना परिचय दें।
उत्तर:
मैं अंकिता वरवडे (Ankita Warwade), मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के चिचोली ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पाटाखेड़ा में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में पदस्थ हूँ। मैं इस पद को न सिर्फ नौकरी बल्कि अपने जीवन का उद्देश्य मानती हूँ, क्योंकि यह मुझे ग्रामीण भारत की सेवा का अवसर देता है।
प्रश्न 2: आपकी ग्रेजुएशन कब पूरी हुई और क्या यह आपकी पसंदीदा क्षेत्र था?
उत्तर:
मैंने 2019 में मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। स्वास्थ्य सेवा में जनता की सेवा करना शुरू से ही मेरी पसंदीदा दिशा रही है।
प्रश्न 3: ग्रेजुएशन के बाद आप क्या करना चाहती थीं?
उत्तर:
मैं हमेशा से चाहती थी कि लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर सकूँ, बीमारियों के कारणों को समझकर उन्हें जड़ से खत्म करने का प्रयास करूँ।
प्रश्न 4: CHO की नौकरी में आने की कहानी क्या है?
उत्तर:
2018-19 में जब पहली बार मध्यप्रदेश में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की पोस्ट आई, तो मैंने तुरंत आवेदन किया। यह मिड-लेवल हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर का पद था जिसे भारत सरकार ने डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए शुरू किया था। मुझे यह सोचकर बहुत गर्व हुआ कि मैं ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर इस कमी को पूरा कर सकती हूँ। इसी भावना के साथ मैंने 2019 में इस पद को जॉइन किया।
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प्रश्न 5: वर्तमान में आप किस राज्य में कार्यरत हैं? क्या यह आपका गृह राज्य भी है?
उत्तर:
मैं मध्यप्रदेश राज्य के बैतूल जिले के घने जंगलों से घिरे सुंदर ग्राम पाटाखेड़ा में कार्यरत हूँ। यह मेरा कार्यस्थल ही नहीं, मेरे दिल के बहुत करीब है।
प्रश्न 6: क्या CHO आपकी पहली पसंद थी?
उत्तर:
जी हाँ, यह मेरी पहली पसंद थी। इस पद के माध्यम से मैं उन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचा पा रही हूँ जहाँ पहले कोई सुविधा नहीं थी। इसके लिए मैं भारत सरकार की आभारी हूँ।
प्रश्न 7: इस जॉब का सबसे बड़ा चैलेंज क्या रहा? आपने कैसे सामना किया?
उत्तर:
सबसे बड़ा चैलेंज था – जनजातीय समुदाय की भाषा, संस्कृति और सोच को समझकर उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूक करना। शुरू में लोग वैक्सीनेशन और दवाओं पर विश्वास नहीं करते थे। उन्हें जड़ी-बूटियों और झाड़-फूंक पर ज्यादा भरोसा था। मैंने गांवों में चौपाल और बैठकों के ज़रिए संवाद किया, उनकी भाषा सीखी और धीरे-धीरे उनकी सोच बदली। आज वो लोग खुद स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने आते हैं, यह मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
प्रश्न 8: CHO के रूप में रोजाना कौन-सी कठिनाई महसूस होती है और आप क्या बदलाव चाहती हैं?
- उत्तर:
हमें संस्था प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन सारे अधिकार नहीं। अगर CHO को पूरे अधिकार दिए जाएं, तो हम और भी बेहतर समन्वय बना सकते हैं और सेवाओं को सुदृढ़ कर सकते हैं। - सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की जॉब एक बहुत अच्छी जॉब है बस उसमें समस्या यह है कि संस्था प्रभारी के रूप में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को नियुक्त किया गया है लेकिन साथ ही साथ उसी संस्था प्रभारी होने के समस्त अधिकार भी दी जानी चाहिए था ताकि वो स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने हेतु टीम से बेहतर समन्वय करते हुए थे उनकाी दक्षता का उपयोग ले सके।
प्रश्न 9: क्या CHO पर कार्यभार अधिक है?
उत्तर:
हाँ, कार्यभार अपेक्षाकृत अधिक है।
प्रश्न 10: क्या अन्य कैडर जैसे ANM, ASHA कार्यकर्ता सहयोग करते हैं?
उत्तर:
हाँ, ANM, ASHA और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बहुत सहयोग करते हैं। हम सभी एक टीम की तरह कार्य करते हैं।
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प्रश्न 11: प्रश्न: आप अपने कार्यक्षेत्र में क्या बदलाव लाना चाहते हैं? और आपकी नियुक्ति के बाद वहां क्या बदलाव आए हैं?
उत्तर:
स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाना मेरी प्राथमिकता थी। अब लोग TB, कैंसर और अन्य बीमारियों के लक्षण पहचान कर खुद जांच करवाते हैं। हेल्थ एजुकेशन सेशन्स से लोगों की सोच में बड़ा परिवर्तन आया है। यह मेरे लिए गर्व की बात है।
- लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना चाहती थी। और मैं इसमें क़ामयाब भी रही मेरे हितग्राही प्रतिमाह ग़ैर संचारी रोग की जाँच करवाने के लिए आते हैं।
- TB के लक्षण दिखने पर वे स्वयं ही जाँच करवाते हैं और अपने घर के सदस्यों का जाँच करवानी भी आते हैं।
- कैंसर के लक्षण दिखने पर भी वे कैंसर की जाँच करवाने आते हैं साथ ही वह अपने आस पास के क्षेत्र में अपने भाई बंधु इत्यादि को भी बीमारियों के प्रति स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का कार्य करते हैं।
- पहले उन्हें बीमारियों की ज़्यादा जानकारी नहीं थी और उनकी लक्षणों को भी समझ नहीं पाते थे लेकिन हमारे हेल्थ एजुकेशन सेशन जो प्रतिमाह आयोजन किए जाते हैं) के बाद अब वह लक्षणों को जान पाते हैं और समय रहते ही उसका प्रबंधन करने हेतु अस्पताल आते हैं और पूर्ण उपचार प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 12: क्या प्रोत्साहन राशि को वेतन में शामिल किया जाना चाहिए?
उत्तर:
हाँ, बिल्कुल। प्रोत्साहन राशि की वजह से कई स्तरों पर भ्रष्टाचार पनपता है। कई इंडिकेटर्स वैसे भी हमारी रूटीन ड्यूटी का हिस्सा हैं, जैसे OPD, ANC, VHND आदि। इन्हें सैलरी में मर्ज कर देना चाहिए, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
- सबसे पहले तो प्रोत्साहन राशि के चलते प्रत्येक जिला और ब्लॉक स्तर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है कि यह भ्रष्टाचार की प्रक्रिया बंद होनी चाहिए।
- हर ब्लॉक में 10% लिए जाने की प्रथा सी बन गई है।
- कार्य आधारित प्रोत्साहन राशि मैं बहूत सारे इंडिकेटर ऐसे हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए अतिरिक्त मेहनत की आवश्यकता नहीं होती है। उदाहरण के लिए प्रतिदिन देखे जाने वाली OPD इसी कार्य के लिए हम स्वास्थ्य केंद्र पर पदस्थ हैं और निष्ठा के साथ कर रहे हैं।
- ANC रजिस्ट्रेशन , महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं में से एक है यह भी हम प्रतिमाह करते हैं जिससे हम में अतिरिक्त मेहनत की आवश्यकता नहीं होती।
- जन आरोग्य समिति की बैठक प्रतिमाह की जानी होती है न और हम प्रतिमाह बैठक का आयोजन कर रहे हैं टीम के साथ।
- HBNC मॉनिटरिंग- इसमें भी अतिरिक्त मेहनत की आवश्यकता नहीं होती है।
- VHND साइट विज़िट -लगभग प्रत्येक साइट हम व कर ही लेते हैं जिससे हमें वहाँ की समस्या और गुणवत्ता के बारे में बेहतर जानकारी मिल सके यह हमारी मॉनिटरिंग का एक पार्ट है ।
- स्वास्थ्य गतिविधियां स्वास्थ्य गतिविधियों के बिना तो उस स्वास्थ्य का कार्य अधूरा ही माना जाता है यह भी हम प्रतिमाह आयोजित करते हैं।
- प्रतिमाह मोबाइल रिचार्ज -आपको पता है कि बिना रिचार्ज और डाटा की कोई भी ऑनलाइन कार्य संभव नहीं है तो फ़ीस फिर इसे इंडिकेटर में जोड़ने की क्या आवश्यकता पड़ी । परिवार नियोजन प्रोग्राम यह प्रोग्राम सतत चलने वाली प्रक्रिया है जागरूकता के बाद इसमें काफ़ी सुधार आया है।
- इतनी आसान इंडीकेटर्स को PBI से हटा ही देना चाहिए।
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प्रश्न 13: क्या CHO को नियमित कैडर बनाया जाना चाहिए?
उत्तर:
बिल्कुल। CHO ही गांवों में डॉक्टरों की कमी को दूर कर रहे हैं। यदि इसे नियमित कैडर नहीं बनाया गया, तो धीरे-धीरे इस पेशे से लोग हतोत्साहित होकर हट सकते हैं। यह पद स्वास्थ्य प्रणाली की नींव बन चुका है।
- हाँ बिलकुल सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को एक नियमित कैडर के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए क्योंकि यह ज़मीनी स्तर का सबसे महत्वपूर्ण पद है जो ग्रामीणों को सेवाएँ प्रदान कर रहा है डॉक्टर की कमियों को पूर्ति कर रहा है।
- डॉक्टर्स का ग्रेड पे 64, 54 सौ का है और वहीं दूसरी ओर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों का ग्रेड पे 4800 का है। इतने कम सैलरी में प्रशासन को इतना अच्छा काम करने वाला व्यक्ति प्रशासन को कम सैलरी में रखना ज़्यादा फ़ायदेमंद रहेगा। साथ ही यह पूरे भारत वर्ष में स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ की हड्डी बन चुका है।
- ज़मीनी स्तर पर यह नीव बन चुका है जिसके ऊपर ही पूरे स्वास्थ्य की बिल्डिंग खड़ी की जा सकती है। यदि इस पद को नियमित नहीं किया गया तो धीरे धीरे का सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी हतोत्साहित होकर इस नौकरी को छोड़कर अन्य नौकरी की तरफ़ भागने लगेंगे। साथ ही यह पद का गैप फ़ीलिंग के अंतर्गत नहीं आता है इसलिए इस पद को नियमित किया जाना चाहिए।
प्रश्न 14: क्या आप अपनी नौकरी से संतुष्ट हैं?
उत्तर:
हाँ, मैं अपनी नौकरी से पूरी तरह संतुष्ट हूँ।
प्रश्न 15: अन्य CHO के लिए आपका क्या संदेश है?
- उत्तर:
सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की जॉब बोहोत अच्छी है मैं मानती हूँ कि इसमें थोड़े संघर्ष है लेकिन निश्चित रूप से आने वाली भविष्य में यह बहुत ही सरल और सुगम होगी क्योंकि यह कैडर पूरी तरह से नया है इसलिए कई सारी अन्य कैडर रोको इसे समझने में थोड़ी परेशानी होती है लेकिन आने वाले समय में आप इस जॉब में रहते हुए अपने समाज के लिए 1 बेहतर उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं और अपने समाज को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ दी सकते हैं हम सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी ऐसे क्षेत्रों में काम करते हैं जहाँ तो दूर दूर तक कोई मेडिकल नहीं है जहाँ दूर दूर तक कोई प्राइवेट डॉक्टर भी नहीं है। - आप सोच कर देखिए उन सभी ज़रूरतमंद लोगों को आपकी कितनी ज़रूरत है और एक इंसान होने के नाते हमें वहाँ पहली प्राथमिकता देनी चाहिए जहाँ पर लोगों को हमारी ज़रूरत है हमारी सेवाओं की ज़रूरत है मैं आप सभी से यही कहना चाहती हूँ कि आप अपना कार्य प्रसन्न्ता के साथ करी उत्साह के साथ करें मुझे पूरा भरोसा है कि हमारा सभी का भविष्य निश्चित रूप से बोहोत सुनहरा होगा।
विशेष साझा – अंकिता वरवडे का प्रेरणादायक योगदान
अंकिता जी ने न्यूनतम संसाधनों के बीच बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराईं। कोरोना काल में, जब हर कोई भयभीत था, उन्होंने साहस और कर्मठता से बैतूल जिले के पाटाखेड़ा क्षेत्र में निरंतर सेवा दी और कई लोगों की जान बचाई।
विशेष परिचय
सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी पद एवम कार्य का सामान्य परिचय
परिचय न केवल नाम ही
परिचय होता है काम भी।
नाम और काम मंजूर करे
जब उस क्षेत्र की आवाम भी।
न्यूनतम सुविधाओं से मेरे द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए विशेष प्रयास
अंकिता जी द्वारा न्यूनतम संसाधनों से बेहतर स्वस्थ सुविधाएं प्रदान करने का कार्य किया गया है। खासकर कोरोना जैसी महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया इस महामारी से घबराई और डरी हुई थी वहीं मेरे द्वारा बैतूल जिले के संसाधन विहीन पाटाखेड़ा क्षेत्र में पूरे साहस और पूरी कर्मठता के साथ पीड़ितों का उपचार कर उन्हें कोरोना से निजात दिलाने का कार्य किया तथा आम जनता में व्याप्त इस महामारी के डर को बहुत हद तक कम करते हुए उन्हें इस बीमारी से बचाव के लिए सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से जनता को जागरूक किया।
- इस दिशा में किए गए बेहतर कार्य को देखते हुए जिला कलेक्टर बैतूल के द्वारा प्रशस्ति प्रदान कर सम्मानित भी किया गया साथ ही प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के द्वारा भी कोरोना योद्धा के सम्मान से सम्मानित किया गया।
- टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में जागरूकता एवम सहभागिता के लिए बेहतर कार्य करने हेतु दो बार मध्यप्रदेश राज्य राष्ट्रीय हेल्थ मिशन के संचालक द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
- अंकिता जी वनवासी कल्याण परिषद मैं भी जिला उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया और वनवासी कल्याण परिषद के माध्यम से मद्यप्रदेश के घने और दुर्गम वन क्षेत्र में भी स्वास्थ्य सेवाओं और आवश्यक दवाइयां को पहुंचाकर स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के शिविरों का आयोजन करना तथा पीड़ितों को दवाइयां और जरूरी उपचार उपलब्ध करवाने का कार्य किया।
- स्कूली छात्र छात्राओं तथा उनके पालको की बैठक का आयोजन करते हुए गुड टच बेड टच बारे में जानकारी देकर जागरूक करने का कार्य भी किया गया है।
- गर्भवती माताओं को यथासंभव गर्भवती पोषण अमृत कलश के माध्यम से बेहतर पोषण प्रदान करवाना जिससे संपूर्ण भारत का मातृ एवम शिशु मृत्यु दर कम हो सके जो कि हमारी पहली प्राथमिकता है।
- बुजुर्गों को घर पहुंच स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना, तथा उनके परिवार की काउंसलिंग करना ताकि बुजुर्गों के साथ बेहतर वातावरण बन सके तथा परिवार उनकी आवश्यक देखभाल कर करे।
- समय-समय पर मेडिकल कैंप के माध्यम से लोगों को नॉन कम्युनिकेबल डिसीज और कम्युनिकेबल डिजीज के बारे में जागरूक करना और यथासंभव उपचार प्रदान करना भी शामिल है।
- मानसिक स्वास्थ्य के लिए काउंसलिंग करना तथा ध्यान सत्रों का आयोजन करना भी विशेष कार्य है। अंकिता जी द्वारा सतत स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पहल की जाती रही है।
- मेरा पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र में किए कार्य के परिणाम स्वरूप अच्छे परिणाम प्राप्त हुए है जिससे स्पष्ट है कि न्यूनतम स्वास्थ्य संसाधनों के द्वारा भी बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते है।
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अन्य सामुदायिक कार्यों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के अभिनव प्रयास
अंकिता जी अपने उत्तरदायित्व के साथ साथ सामुदायिक स्वास्थ्य अधि
कारी के अखिल भारतीय सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संघ की संस्थापिका भी रही। जिन्होंने पूरे मध्यप्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को उत्कृष्टता प्रदान करने की दिशा में कार्य किया है।
- अंकिता जी के लगातार परिश्रम और संघर्षशीलता को देखते हुए भारतीय मजदूर संघ से संबंध संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी की बेहतर महिला नेतृत्वकर्ता के रूप में बेस्ट संविदा लीडर का अवार्ड प्रदान किया गया, साथ ही प्रदेश उपाध्यक्ष की उपाधि भी दी गई।
- अंकिता जी द्वारा अन्य किए गए कार्य की बात करें तो राष्ट्रीय विशाल युवा हिंदू वाहिनी की राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में हिंदुत्व जागरूकता के तहत उत्कृष्ट कार्य किया जहां छोटे बच्चों को संस्कृती, भाषा के बारे में जानकारी देने के साथ साथ बाल विकास के माध्यम से अच्छे संस्कार देना तथा वेद पाठ श्लोक सिखाना इत्यादि शामिल है। कहती है – मेरा मानना है कि छोटे बच्चे ही हमारे आने वाले सुनहरे भारत का भविष्य है जिनमें हमारी परंपराओं और संस्कृति का संचार होना चाहिए ताकि हमारी संस्कृति सदियों तक जीवित रहे।
- अंकिता जी वनवासी कल्याण परिषद मैं भी जिला उपाध्यक्ष के रूप में कार्य कर रही वनवासी कल्याण परिषद के माध्यम से घने और दुर्गम वन क्षेत्र में भी स्वास्थ्य सेवाओं और आवश्यक दवाइयां को पहुंचाकर स्वास्थ्य जागरूकता के शिविरों का आयोजन करना तथा पीड़ितों को दवाइयां और जरूरी उपचार उपलब्ध करवाना, ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को महिला हिंसा उत्पीड़न की शिक्षा प्रदान करना और महिलाओं को स्वयं के पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित करना रहा इस हेतु यथासंभव उनकी मदद करने का कार्य भी किया है।
- स्कूली छात्र छात्राओं को रोजगार के साधनों की जानकारी देना तथा उनके पालको की बैठक का आयोजन करते हुए गुड टच बेड टच बारे में जानकारी देकर जागरूक करने का कार्य भी किया गया है।
- युवाओं के साथ peer ग्रुप एजुकेशन के माध्यम से उन्हें शिक्षित करना, नवजात शिशु की घर पहुंच सेवाओं के साथ देखभाल के लिए समझाइए देना इत्यादि शामिल है। साथ ही कड़कती ठंड में दूर जंगल ग्राम में गरम कपड़े कंबल उपलब्ध करवाना ,माह में एक बार भोज करवाना ,और ज़रूरी सामान उपलब्ध करवाना।
- अंकिता जी का मानना है कि यदि समाज स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होगा तो किसी भी बीमारी को होने से रोका जा सकता है, और यदि संपूर्ण समाज स्वस्थ होगा तो निश्चित रूप से संपूर्ण भारत स्वस्थ होगा और स्वस्थ और शिक्षित समुदाय से ही स्वर्णिम और सुंदर भारत का निर्माण होगा। लागातार संघठन के माद्यम में भारत के विभिन्न राज्यो में स्वास्थ जागरूकता की पहल की जा रही है।
विशेष
- अंकिता जी यह अनुभव है कि कुछ करने की प्रबल इच्छा शक्ति और अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण के भाव को मानस में रखकर कार्य करने से न्यूनतम साधनों से भी वांछित परिणाम प्राप्त किए जा सकते है। चिकित्सा के लिए केवल दवाई ही जरूरी नहीं है वरन बीमारी को अपनत्व, समर्पण तथा रोगी को विश्वास दिलाकर भी रोगमुक्त किया जा सकता है।
- कई बीमारियां ऐसी भी होती है जिनका निदान वैकल्पिक चिकित्सा से बेहतर ढंग से हो सकता है। मेरे द्वारा उक्त दृष्टिकोण से कार्य कर अच्छे परिणाम प्राप्त किए गए है और यह साबित किया है।
ठान लिया अगर कभी
मुश्किल नहीं कुछ काम।
पर शर्त यह है अवश्य ही
परिणाम तक नहीं विराम।
CHO Saathi की ओर से अंकिता जी को उनके समर्पण, सेवा और प्रेरणादायक कार्यों के लिए हार्दिक धन्यवाद और शुभकामनाएँ।
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