खसरा (Measles morbillivirus): एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है। यह बीमारी पूरी तरह से टीकाकरण से रोकी जा सकती है, लेकिन हाल के प्रकोपों ने इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को उजागर किया है।
खसरा कैसे फैलता है?
खसरा मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से उत्पन्न वायरस युक्त बूंदों के माध्यम से फैलता है। यह वायरस हवा में या सतहों पर 2 घंटे तक जीवित रह सकता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- यदि कोई व्यक्ति खसरा रोगी के संपर्क में आता है और उसे टीका नहीं लगा है, तो 90% संभावना है कि वह संक्रमित हो जाएगा।
- संक्रमित व्यक्ति रैश (लाल चकत्ते) निकलने के 4 दिन पहले और 4 दिन बाद तक संक्रमण फैला सकता है।
खसरे के लक्षण और जटिलताएं
खसरा होने के बाद इसके लक्षण तीन चरणों में विकसित होते हैं:
1. इनक्यूबेशन पीरियड (संक्रमणकाल)
- वायरस शरीर में 10-14 दिन तक बिना किसी लक्षण के बढ़ता है।
2. प्रारंभिक लक्षण (प्रोड्रोमल फेज)
- तेज़ बुखार,
- खांसी,
- नाक से पानी बहना,
- आंखों में लालिमा (कंजक्टिवाइटिस)
- कोपलिक स्पॉट्स (मुँह के अंदर सफेद धब्बे)
3. दाने निकलना (एक्सैंथम फेज)
- चेहरे और गर्दन से शुरू होकर पूरा शरीर लाल चकत्तों (रैश) से भर जाता है।
- यह संक्रमण के 14वें दिन दिखने लगता है।
संभावित जटिलताएं
- निमोनिया – हर 20 में से 1 खसरा पीड़ित को होता है।
- एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन) – 1,000 में से 1 रोगी को यह समस्या हो सकती है।
- एसएसपीई (Subacute Sclerosing Panencephalitis) – यह एक घातक मस्तिष्क रोग है, जो खसरा संक्रमण के कई वर्षों बाद विकसित हो सकता है।
- अन्य समस्याएं – कान में संक्रमण, गंभीर डायरिया और कॉर्नियल अल्सर (जो अंधेपन का कारण बन सकता है)।
टीकाकरण: खसरा से बचाव का सबसे कारगर उपाय
एमएमआर वैक्सीन (Measles, Mumps, and Rubella Vaccine) खसरा से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।
✅ पहला डोज – 12-15 महीने की उम्र में
✅ दूसरा डोज – 4-6 साल की उम्र में
👉 दोनों डोज़ लेने पर 97% सुरक्षा मिलती है।
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खसरे के हालिया प्रकोप और सावधानियां
हाल ही में अमेरिका के वेस्ट टेक्सास में 2025 की शुरुआत में खसरे का बड़ा प्रकोप हुआ, जिसमें 120 से अधिक मामले सामने आए और एक बच्चे की मौत हो गई।
यह घटना बताती है कि टीकाकरण से ही इस बीमारी को पूरी तरह रोका जा सकता है। इसलिए, समय पर वैक्सीन लेना और दूसरों को जागरूक करना आवश्यक है।
निष्कर्ष
खसरा एक तेज़ी से फैलने वाली, गंभीर वायरस जनित बीमारी है, लेकिन टीकाकरण और उचित सावधानियों से इसे रोका जा सकता है। जागरूकता बढ़ाने और टीकाकरण कार्यक्रमों को मजबूत करने से ही इस घातक बीमारी को पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है।
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